Monday, 24 April 2023

अनोखी जिंदगी

दर्द को सीने में दबा कर जो मुस्कुरा दिया

जलने वालों ने तो अपने होश ही गंवा दिया

खुशनसीब है वो कितनी, ऐसा लोग समझते हैं

मन की टिस को दबाकर भी हम हंसते हैं

गैरों की बात क्या करें अपनों से धोखा खाया

जलती हुई लकड़ी को हाथों में लेकर दबाया

उस जलन की क्या नुमाइश करें हम

जिंदगी तुझसे क्या शिकायत करें हम

जितना मिला खुशी से स्वीकार किया

ईश्वर रचित सत्य को आत्मसात किया

मुश्किल है समझना हमारी अदा निराली हैं

जीवन मृत्यु होली के संग दिवाली है।

मानती हूं कि दूसरों से मैंने कम है पाया

हां क्योंकि,

निज पतन के मूल्य पर कुछ नहीं कमाया

आसान नहीं होता मन को संतृप्त करना

पाने की चाहत में मन को विक्षिप्त करना

पर फिर भी,संकल्प की मैं इतनी धनी हूं

इस सृष्टि के कण-कण में बसी हूं।

आपकी

बिन्दु रानी।

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