मैं एक नारी मैं पुत्री मैं एक जननी
मैं एक शिक्षिका हूं या दिशा दर्शिका
पहचान अपनी कैसे बताऊं
मन के विश्वास को मैं कैसे दर्शाऊं
जो घटित हो रहा समाज में
मैं उसकी प्रत्यक्ष मूर्ति कैसे बनूं
कठिन राह समूहों से निर्मित
अपने सरल पथ का चयन कैसे करूं
कभी पति की कल्पना में
विश्वास कर्त्तव्य के रंग कैसे भरूं
माता की जीवंत मूर्ति की अवहेलना ना कर सकूं
नारी के विभिन्न रूपों में
यथार्थ रूप कैसे धरूं
राह आसान मैं कर सकूं
कभी पुत्री कभी जननी कभी पत्नी कभी शिक्षिका
के कर्तव्य को पूरा कर सकूं
जीर्ण शीर्ण पथ की राही बनकर
मानव हित में नई प्रेरणा भर सकूं
शांत सौम्य संयम विश्वास जगाकर
आत्मनिर्भरता जागृति का मार्ग प्रशस्त कर सकूं
मैं एक नारी मैं एक जननी में
एक पत्नी मैं एक शिक्षिका।
आपकी बिंदु।