Sunday, 26 January 2020

एक मीठा अहसास

परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई
पिता से मुलाकात मन में ही कहीं खो गई।
उंगली पकड़कर बचपन में चलना
नींद में भी कुछ-कुछ बड़बड़ाना
रातों को नित्य पिता का जागना
यह अहसास अब कहीं खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

गलतियों पर डांट का सुनना
समय पर कार्य पूर्ण न करना
बिखरते हालात को धैर्य से सुधारना
अनकही भावनाएं विस्मृत हो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

नौकरी के लिए दिन-रात भटकना
हतोत्साह का मन में अटकना
परिवार से ही मन में उत्साह जगना
देखते ही देखते कैसे पुरानी हो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

महत्वाकांक्षा में स्वदेश को छोड़ना
अपरिचित के संग घर का बसाना
अपने संस्कारों को भी भूल जाना
कोमल भावनाएं अचानक कहीं पर खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई ।

अपने बच्चों से नई उम्मीद जगाना
वर्तमान को भूलकर भविष्य सजाना
भूले हुए संस्कारों का यूं ही याद आना
सत्य से मेरी पहचान हो गई
चिर-परिचित मुसकान कहीं खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई।

पिता बनकर मैंने यह जाना
क्या होता है पिता का बनना
परिवार संग कैसे समय बिताना
मेरी पलकों को अहसास की नमी दे गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई।

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