Tuesday, 11 February 2020

जागीर


सलामती की दुआएँ जिनकी नसीब होती हैं
तन्हाईयाँ तो उनकी जागीर होती हैं।
खुशी जिसके पल हो या 
जिसका गम हो अचल फिर भी 
यह तो खुद की जहाँगीर होती हैं 
तन्हाइयां तो उनकी जागीर होती हैं। ।
बेटा बैठा हो परदेस में 
या हो अपने आगोश में
बिचलते मन की यह तमाशबीन होती हैं
तन्हाइयां तो उनकी जागीर होती हैं ।
खुद से कर दो जुदा या
खुद ही हो जाए खफा
मकड़ी के जालों जैसी इनकी जंजीर होती हैं 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होते हैं। 
अनकही मन की जज्बातों में 
खुशियों से मिली सौगातों में 
उठती गिरती जिंदगी की बरसात होती है 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होती हैं।
अपनी हो या हो पराई 
हर घर में बसी है तन्हाई 
तजुर्बेकारों की तो इनसे यारिशीन होती हैं 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होती हैं।
मित्रों संग प्यार और तकरार में 
बिखरते रिश्ते को समेटने की आस में 
दरख्ते जिनके आँगन में करीब होती हैं 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होती हैं। 
हमराही के साथ निभाने की चाहत में या 
बेमौसम छोड़ जाने की अकुलाहट में 
परीक्षा जीवन की एक कड़ी ही होती है 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होती है।
मौत के बीच अंधेरे में या 
जीवन की नित नई सवेरे में 
पलायन ही जीवन की दस्तूर होती है 
तन्हाइयाँ तो उनकी जागीर होती हैं।

नयी सोच


बेतकल्लुफी जो हमारे दिल में उतर गई 
वैलेंटाइन डे की तो पहचान बदल गई 
उम्र के इस पड़ाव पर यह सोच है नयी
प्राचीनता मेँ नवीनता की छौंक जो लगी
कर्मठता के क्षेत्र में संबंध जो हैं बने
सुख-दुख को साथ लेकर हमसब अड़े हुए
सब हसरतों के साथ आगे निकल गई
प्रेम-जज्बातों की परिभाषा बदल गई 
प्रेम हमारे मन में सम्मान का प्रतीक है 
यह हमसफर ही नहीं पूरे परिवार के बीच हैं 
पश्चिमी से भारतीय सभ्यता में उतर गयी
वैलेंटाइन डे को मनाने की तस्वीर बदल गई 
संगी साथी जो हमारे जीवन से हैं जुड़े 
इस एक दिन की भीड़ में ये तो सिमटे हुए
आत्मीयता की झूंड को नये रूप में सलाम
वैलेंटाइन डे को मनाने का है नया पैगाम 
पशुत्व भावनाओं से बचाएँ देश का मान
प्रेम से भरा रहे हमारा भविष्य-वर्तमान।

Sunday, 26 January 2020

एक मीठा अहसास

परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई
पिता से मुलाकात मन में ही कहीं खो गई।
उंगली पकड़कर बचपन में चलना
नींद में भी कुछ-कुछ बड़बड़ाना
रातों को नित्य पिता का जागना
यह अहसास अब कहीं खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

गलतियों पर डांट का सुनना
समय पर कार्य पूर्ण न करना
बिखरते हालात को धैर्य से सुधारना
अनकही भावनाएं विस्मृत हो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

नौकरी के लिए दिन-रात भटकना
हतोत्साह का मन में अटकना
परिवार से ही मन में उत्साह जगना
देखते ही देखते कैसे पुरानी हो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई |

महत्वाकांक्षा में स्वदेश को छोड़ना
अपरिचित के संग घर का बसाना
अपने संस्कारों को भी भूल जाना
कोमल भावनाएं अचानक कहीं पर खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई ।

अपने बच्चों से नई उम्मीद जगाना
वर्तमान को भूलकर भविष्य सजाना
भूले हुए संस्कारों का यूं ही याद आना
सत्य से मेरी पहचान हो गई
चिर-परिचित मुसकान कहीं खो गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई।

पिता बनकर मैंने यह जाना
क्या होता है पिता का बनना
परिवार संग कैसे समय बिताना
मेरी पलकों को अहसास की नमी दे गई
परिवार का सम्मान अनोखी बात हो गई।